ड्रोन से बम, 900 उग्रवादियों की घुसपैठ? मणिपुर हिंसा के बीच सेना प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी ने खोली झूठ की पोल

ड्रोन से बम, 900 उग्रवादियों की घुसपैठ? मणिपुर हिंसा के बीच सेना प्रमुख उपेंद्र द्विवेदी ने खोली झूठ की पोल

Army Chief On Manipur Violence: थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने मंगलवार को चाणक्य रक्षा संवाद में एक कार्यक्रम को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने भारत-चीन सीमा विवाद, मणिपुर हिंसा समेत तमाम मुद्दों पर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि जहां तक मणिपुर हिंसा की बात है, वो मई 2023 में अफवाह से शुरू हुई. उन्होंने बताया कि हाल ही में उग्रवादियों द्वारा ड्रोन से बम गिराने की बात कही गई थी. इसके अलावा 900 उग्रवादियों के घुसपैठ की खबरें आई थीं. ये सब झूठी कहानियां थीं.

सेना प्रमुख ने बताया कि मई 2023 में अफवाह फैलाई गई थी कि एंग्लो-कुकी शताब्दी गेट को जलाया जा रहा है. हालांकि, वह जलाया नहीं गया था. इसको कंफर्म करने में ग्राउंड पर भी गया था. अभी हालात भले स्थिर हो सकते हैं, लेकिन तनावपूर्ण हैं. उन्होंने कहा कि हम और क्या कर सकते हैं लेकिन उससे पहले और क्या हुआ वो देखना होगा. 60 हजार लोग विस्थापित हो चुके हैं. हालांकि, ये आंकड़ा घटकर 40 हजार से नीचे तक आया है. हम हालात को सामान्य करने में जुटे हैं. हम लोगों का भरोसा जीतने की कोशिश कर रहे हैं. इसमें वक्त लगेगा.

’25 प्रतिशत हथियार जब्त किए जा चुके’

सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने कहा, हल्के ढंग से कहें तो, एक के साथ एक फ्री’. क्योंकि मणिपुर एक समस्या है और अब आपके सामने म्यांमार की समस्या भी आ रही है. आज स्थिति स्थिर हो सकती है, लेकिन यह तनावपूर्ण है. उन्होंने कहा, हमने बड़ी संख्या में हथियारों को जब्त किया है. अगर मैं कहता हूं कि लगभग 25% हथियार पहले ही बरामद किए जा चुके हैं और स्थानीय किस्म के दोगुने हथियार भी बरामद किए जा चुके हैं.

सेना प्रमुख ने कहा, हमें अफवाहों को जगह नहीं दे सकते. उहारण के लिए ड्रोन से बम गिराने की बात थी. लेकिन जब ग्राउंड पर चेक किया गया, तो ऐसा कुछ नहीं था. इसके बाद एक और झूठी कहानी 900 उग्रवादियों के घुसपैठ की सामने आई. यह भी गलत थी. जहां तक बाहरी लोगों की बात है तो म्यांमार की अपनी समस्या है कुछ लोग ऐसे भी हैं जो विस्थापित हो रहे हैं तो वे कहां जाएंगे? वे केवल उन्हीं स्थानों पर जाएंगे जो शांतिपूर्ण हैं और उन्हें स्वीकार करने के लिए तैयार हैं. मिजोरम और मणिपुर में यही हो रहा है, इसलिए जो लोग आ रहे हैं वे निहत्थे आ रहे हैं और वे किसी प्रकार के आश्रय की तलाश में आ रहे हैं.

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